दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल प्रोजेक्ट (आरआरटीएस) के शुरू होने से इन दोनों शहरों के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. वहीं यहां की सड़कों से लगभग एक लाख वाहन भी कम हो जाएंगे. नीति आयोग की इसके लाभ आधारित अध्ययन में यह बात सामने आई है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार स्टडी में यह बात भी सामने आई कि आरआरटीएस पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए सबसे बेहतर विकल्प है. इससे लोग निजी गाड़ियों को छोड़कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपयोग करने के लिए प्रेरित होंगे. यही वजह है कि केंद्र सरकार की योजना इस प्रस्तावित हाई स्पीड कॉरिडोर को पांच की जगह तीन वर्ष में पूरा कर लेना है. सूत्रों के अनुसार, नीति आयोग ने सोमवार को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसमें उन्होंने बस रैपिड ट्रांसिट (बीआरटी), मेट्रो रेल के विस्तारीकरण और आरआरटीएस के फायदों को गिनाया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगले एक दशक में दिल्ली सबसे अधिक आबादी वाली शहर होगा, अत्यधिक शहरीकरण और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी से एनसीआर में लोगों की भीड़ अनियंत्रित हो जाएगी. दिल्ली सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्रालय को इस प्रोजेक्ट में आने वाले 31,092 करोड़ रुपए के लागत में अपनी हिस्सेदारी के 1138 करोड़ रुपए देने में असमर्थता जताने से 82 किलोमीटर लंबा यह आरआरटीएस कॉरिडोर योजना अटक गई है. इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलनी बाकी है.
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Wednesday, 23 January 2019
दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल से शहर की सड़कों से 1 लाख वाहन हो जाएंगे कम
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